अखिलेश से फिर दूर हुए शिवपाल यादव

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उत्तर प्रदेश की सियासत में मुलायम कुनबे में एक बार फिर से सियासी वर्चस्व की जंग अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच छिड़ चुकी है. सपा ने शिवपाल यादव को अपना विधायक मानने से इनकार किया तो शिवपाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और नए विकल्प की खोज में जुट गए.

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मुलायम परिवार में एक बार फिर चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच रिश्ते में बिगड़ते नजर आ रहे हैं. भतीजे ने चाचा को सपा का विधायक मानने से इनकार कर दिया है तो शिवपाल यादव ने विधानसभा सदस्यता की शपथ लेने के बाद सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर बड़ा सियासी दांव चला. भविष्य के फैसले पर उन्होंने कहा कि वक्त आने पर इसका खुलासा करेंगे. शिवपाल के इस रहस्यमयी बयान के बाद सियासी चर्चा तेज हो गई हैं. ऐसे में शिवपाल अगर बीजेपी के साथ जाने का फैसला करते हैं तो बीजेपी उन्हें क्या-क्या दे सकती है?

सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने शिवपाल यादव के रिश्ते फिर से अखिलेश यादव से बिगड़ गए हैं. शिवपाल इस कदर नाराज हैं कि अखिलेश यादव के द्वारा बुलाई गई गठबंधन के सहयोगी दल की बैठक में शामिल नहीं हुए और अब भविष्य के लिए राजनीतिक विकल्प की तलाश में जुट गए हैं. बुधवार को विधानसभा में विधायक पद की शपथ लेन के बाद शिवपाल सिंह यादव ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट तक बातचीत हुई है. हालांकि, शिवपाल इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया है.

शिवपाल यादव के करीबियों की माने चुनाव के समय परिवार और समाज के दबाव की वजह से शिवपाल यादव ने जहर का घूंट पीकर सब कुछ बर्दाश्त कर लिया था, पर अब वो बर्दाश्त नहीं करेंगे और अपने लिए नई सियासी राह तलाशेंगे. आजतक ने शिवपाल यादव से जब ये पूछा था कि बीजेपी के साथ नहीं जाने का उनका संकल्प अब भी बरकरार है तो उन्होंने कहा था कि इस पर कुछ नहीं बोलेंगे. इस तरह से उन्होंने भविष्य के रास्ते का संकेत दे दिया था.

वहीं, अब बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकत के बाद शिवपाल को लेकर सियासी चर्चा तेज हो गई है. शिवपाल के करीबी हरिओम यादव पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके हैं तो मुलायम सिंह यादव की बहु अपर्णा यादव ने विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी में एंट्री की थी. मुलायम कुनबे में जब वर्चस्व की जंग छिड़ी थी तो अपर्णा शिवपाल के साथ खुलकर खड़ी थी. सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव के बहन और बहनोई भी पंचायत चुनाव के दौरान बीजेपी का दामन थामा था. ऐसे में अब शिवपाल को बीजेपी अपने खेमे में लाने का कदम उठाती है और वो तैयार होते हैं तो उन्हें पाला बदलने में क्या-क्या मिल सकता है.

बीजेपी आजमगढ़ से शिवपाल को उतार सकती है

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र से इस्तीफा देने के बाद अब उपचुनाव होना है. ऐसे बीजेपी शिवपाल को पार्टी में लेती है तो उन्हें आजमगढ़ सीट से अपना प्रत्याशी बना सकती है. बीजेपी आजमगढ़ सीट पर कमल खिलाने के लिए हरसंभव कोशिश करेगी. ऐसे में बीजेपी शिवपाल यादव के जरिए बड़ा सियासी दांव खेल सकती है. बसपा ने आजमगढ़ सीट पर गुड्डू जमाली प्रत्याशी बनाकर मुस्लिम कार्ड खेल चुकी. सपा से आजमगढ़ में उम्मीदवार स्थानीय होगा या सैफई परिवार का, यह बात साफ नहीं है.

आजमगढ़ सीट पर 2009 में कमल खिलाने वाले रमाकांत यादव अब सपा में हैं और फूलपुर पवई से विधायक हैं. राजनीति की सियासी नब्ज पर नजर रखने वालों का मानना है कि बदली परिस्थितियों में आजमगढ़ उपचुनाव काफी रोचक हो गया है. ऐसे में बीजेपी से यादव बिरादरी का उम्मीदवार उतरा तो सपा के लिए यह सीट चुनौतीपूर्ण हो जाएगी. 2019 में बीजेपी ने भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को उतारा था, लेकिन वो अखिलेश यादव को मात नहीं दे सके. ऐसे में बीजेपी के लिए शिवपाल यादव एक ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं.

बीजेपी ऐसा करती है तो एक तीर से दो शिकार करेगी. पहल आजमगढ़ में शिवपाल यादव के रूप में मजबूत प्रत्याशी मिल जाएगा और अगर वो जीतते हैं तो दूसरा जसवंतनगर सीट पर भी कमल खिलाने का मौका मिल जाएगा. शिवपाल अपने बेट के सियासी भविष्य के लिए राह तलाश रहे हैं. सपा ने उनके बेटे को टिकट नहीं दिया था. ऐसे में जसवंतनगर सीट खाली होने पर बीजेपी उनके बेटे के जरिए बड़ा सियासी दांव चल सकती है.

राज्यसभा भेजकर 2024 का समीकरण साधेगी

शिवपाल यादव को बीजेपी अपने साथ मिलाने के लिए राज्यसभा भेजने का दांव भी चल सकती है. यूपी में अगले कुछ महीने में राज्यसभा की सीटें रिक्त हो सकती है. ऐसे में सपा ने जिस तरह से विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांटे की टक्कर दिया है, उसके चलते बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सारे सियासी तानबाने बुन रही है. मंत्रिमंडल के गठन से लेकर विभागों के बंटवारे तक में सियासी समीकरण साधे गए हैं. ऐसे में सपा के कोर वोटबैंक यादव समुदाय में सेंधमारी के लिए बीजेपी शिवपाल यादव को उच्चसदन भेजकर केंद्रीय मंत्री बनाने का दांव चल सकती है. मोदी सरकार में यूपी से कोई भी यादव केंद्रीय मंत्री फिलहाल नहीं है. ऐसे में राज्यसभा का एक विकल्प शिवपाल के लिए बन सकता है.

शपथ लेने बाद शिवपाल यादव पांच कालीदास मार्ग पर जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकत की. दोनों नेताओं के बीच 20 मिनट की मुलाकत हुई. शिवपाल यादव के जाने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे. माना जा रहा है कि शिवपाल को लेकर बीजेपी में सियासी खिचड़ी पकनी शुरू हो गई है. ऐसे में उन्हें लेने और उनकी भूमिका पर भी मंथन चल रहा है. ऐसे में देखना है कि शिवपाल यादव कितने दिनों तक सपा में रहते हैं और बीजेपी में आते हैं तो किस रोल में होंगे?

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