ठाणे खाड़ी क्षेत्र को रामसर स्थल का दर्जा आर्द्र भूमि की सुरक्षा के साथ साथ पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा – मुख्यमंत्री

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मुंबई, दि. 17 : ठाणे खाड़ी क्षेत्र को “रामसर” स्थल का दर्जा मिले इसके लिए राज्याच्या कांदलवन कक्ष की ओर से प्रस्तुत किए प्रस्ताव को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अनुमति प्रदान की है. यह प्रस्ताव अगली अनुमति के लिए अब केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. रामसर दर्जा मिलने के बाद पक्षी निरीक्षण के लिए देश विदेश से पर्यटक आकर्षित होंगे तथा पर्यावरण और पर्यटन को बढ़ावा मिलकर स्थानिकों को रोजगार उपलब्ध होगा. साथ ही आर्द्र प्रदेश का महत्व लोगों तक पहुंचाकर उसकी सुरक्षा और संवर्धन को अधिक गति मिलेगी. इससे वैश्विक पर्यटन नक्शे पर यह दर्ज होगा, ऐसा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा.(The status of Ramsar site in Thane Gulf region will be boosted along with protection of wetlands and tourism – CM )

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पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे की अध्यक्षता में 9 दिसंबर 2021 को राज्य आर्द्र प्रदेश प्राधिकरण की चौथी बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. इसके बाद यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री की ओर अनुमति के लिए प्रस्तुत किया गया.

ठाणे खाड़ी

ठाणे खाडी फ्लेमिंगो अभयारण्य 16.905 चौ.कि.मी क्षेत्र पर फैला हुआ है. आंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से पर्यावरण के संदर्भ में महत्वपूर्ण ऐसे क्षेत्रों को रामसर क्षेत्र ऐसा कहा जाता है. ठाणे खाड़ी परिसर में विदेश से भारत में स्थलांतर करनेवाले फ्लेमिंगो पक्षी के साथ साथ अन्य कई पक्षी प्रजातियां पाई जाती है. इसलिए आर्द्र प्रदेश की जगह को आंतरराष्ट्रीय दृष्टी से विशेष महत्त्व है. ठाणे खाड़ी के अमूमन 65 चौरस किलोमीटर का क्षेत्र रामसर स्थल के रूप में प्रस्तावित है. उसमें 17 चौरस किलोमीटर में अभ्यारण्य क्षेत्र है. बाकी 48 चौरस किलोमीटर जगह पर्यावरण की दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्र के लिए अक्टूबर 2021 में अधिसूचित हुई है. इसलिए इस परिसर की जीव विविधता का संवर्धन करना आसान होगा. ठाणे खाड़ी परिसर रामसर क्षेत्र के रूप में घोषित होने के बाद फ्लेमिंगो के साथ विभिन्न पक्षी और प्रजातियों का अधिक संवर्धन होने में मदद होगी.

महाराष्ट्र में स्थित रामसर स्थल

आंतरराष्ट्रीय रामसर अधिवेशन में नाशिक जिले के “नांदूर मधमेश्वर” अभयारण्य को जनवरी 2020 में रामसर स्थल का दर्जा दिया गया है. यह महाराष्ट्र का पहला रामसर स्थल है. नवंबर 2020 में बुलढाणा जिले में स्थित लोनार सरोवर महाराष्ट्र का दूसरा रामसर स्थल है. इसके बाद ठाणे की खाड़ी को रामसर स्थल का दर्जा मिलने पर यह महाराष्ट्र का तीसरा रामसर स्थल होगा.

रामसर दर्जा क्या होता है?

1971 में ईरान के रामसर शहर में “रामसर परिषद” हुई. इस परिषद में विश्व के महत्वपूर्ण आर्द्र प्रदेशों का संवर्धन और उनके पर्यावरणपूरक उपयोग का निर्णय लिया गया है. इसके लिए कृति प्रारूप भी तैयार किया गया है. इस प्रारूप के अनुसार प्रत्येक सहभागी राष्ट्र ने अपने देश में वैश्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण आर्द्र प्रदेशों को ढूंढकर उन्हें “रामसर स्थल” घोषित करने का निश्चित किया है. आर्द्र प्रदेश के तहत सरोवर, नदी, तालाब, दलदल, आर्द्र मैदान, खाड़ी, समुन्दर किनारे, भात खाचरे आदि जगहों का समावेश किया गया है. द

विश्व में 2424 आर्द्र प्रदेश रामसर स्थल

भारत ने “रामसर” करार पर 1982 में हस्ताक्षर कर आर्द्र प्रदेशों के संवर्धन के लिए कदम उठाया था. वर्तमान में विश्वभर में 2424 आर्द्र प्रदेशों को “रामसर” स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ है. इसमें आहे. इसमें भारत के 49 स्थलों को “रामसर स्थळा” का दर्जा मिला है.

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