मुस्लिम दुकानदारों ने किया बड़ा खुलासा

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कर्नाटक में कुछ संगठनों ने नए साल से पहले हलाल मीट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. इनका आरोप है कि हलाल सर्टिफिकेशन से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाता है.
बेंगलुरू: हिजाब विवाद के बाद कर्नाटकमें अब नया विवाद खड़ा हो गया है. ये विवाद मीट यानी मांस से जुड़ा हुआ है, जिसे ‘हलाल मीट’ कहते हैं. कुछ संगठनों ने इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार को अल्टीमेटम तक दे दिया था. इस विवाद की शुरुआत कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब के मुद्दे पर आए फैसले से हुई थी. कोर्ट के फैसले के बाद मुसलमानों ने अपनी दुकानें बंद करके नाराजगी जताई थी.

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हलाल मीट के बिजनेस पर असर नहीं
परंपरा है कि नए साल का जश्न मनाने के लिए कर्नाटक में खासकर दक्षिण हिस्सों में लोग मांसाहारी भोजन पकाकर खाते हैं. इसे ‘होसातोड़ाकु’ या ‘वर्षादा तोड़ाकु’ के नाम से जाना जाता है. इसका मतलब है ‘नए साल की शुरुआत’. इस मामले को लेकर मुस्लिम कारोबारियों ने कहा है कि ‘हलाल मीट’ के बिजनेस पर कोई असर नहीं पड़ा है.

हिंदू संगठनों ने किया था विरोध
बता दें कि हिंदू जन जागृति समिति (HJJS) ने कहा था कि हम इस होसातोड़ाकु पर्व पर हिंदू समुदाय से हलाल मांस न खरीदने की अपील कर रहे हैं. हलाल करने के लिए इस्लामी परंपराएं अपनाई जाती हैं. वे कुरान की आयतें पढ़ते हुए अल्लाह के नाम पर जानवर को मारते हैं. वो मांस सबसे पहले उनके अल्लाह
को चढ़ाया जाता है. इसलिए उसे हिंदू देवी देवता को नहीं चढ़ाया जा सकता

वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने कहा, ‘वे कहते हैं कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है. तो फिर इसे हलाल क्यों कहा जाए. इसे हलाल कहकर प्रचारित न किया जाए. जो नहीं खाना चाहते, नहीं खरीदेंगे और जो खाना चाहते हैं वो खरीदेंगे. यदि आप कहते हैं कि इसे केवल उसी नाम से पुकारा जाए तो फिर यह आर्थिक जिहाद हुआ.

 

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